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प्रिया अपने पिता से बात करते हुए उन्हें बताती है कि किस तरह उसे हमेशा लगा कि वो कभी भी उनकी ज़िंदगी में important नहीं थी

प्रिया: आपने हमेशा किया। अभी भी करते हो। हर वक़्त। जब Mom ज़िंदा थीं तब भी। हमेशा मुझे unimportant feel कराया, जैसे कि मैं कुछ हूँ ही नहीं। आपके लिए हमेशा आपका काम सबसे पहले, उसके बाद Mom, और शायद उसके बाद मैं।

मुझे हर वक़्त ऐसा लगता था जैसे कि मैं घर के लावारिस कोनों का हिस्सा हूँ जिन पर कभी आपका ध्यान नहीं जाता। मैं थी वहीं, ठीक आपकी नज़रों के सामने, लेकिन फिर भी बस कहीं घर के एक कोने में। ऐसा क्यों papa? मुझे पता है आप मुझसे प्यार करते हो। आख़िर बेटी हूँ मैं आपकी, प्यार क्यों नहीं करोगे। लेकिन आपने कभी प्यार से अपनी गोदी में मुझे उठा कर ऐसा बोला ही नहीं। मुझे कभी भी ऐसा नहीं लगा कि हम एक दूसरे के कुछ करीब भी हैं। हमेशा बस एक दूरी महसूस हुई…काफ़ी time तक तो मैं ये सोचती थी की आप शायद मुझे पसंद ही नहीं करते, लेकिन जैसे जैसे वक़्त गुज़रा मुझे एहसास हुआ की ये तो आपका nature है, कम से कम मेरे साथ तो है। लेकिन Mom के साथ नहीं, उनके साथ आप बिलकुल normal थे, एक अच्छे प्यार करने वाले पति… और मेरे साथ.. हमेशा बस एक दूरी…मैं आज भी हम दोनों के बीच ये दूरी महसूस करती हूँ। माँ हमारे बीच नहीं हैं, सिर्फ़ हम दोनों हैं, फिर भी…बेटी हूँ मैं आपकी पापा.. क्यों है ऐसा?