Hindi Monologues

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जब रोहन के ऊपर एक newspaper article में ग़लत इल्ज़ाम लगाए जाते हैं तो वो उस article के writer दीपक से मिलता है और उस पर भड़क जाता है।

रोहन : तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई दीपक अख़बार में मेरे बारे में ये बकवास लिखने की? पिछले दस साल से जानता हूँ मैं तुम्हें और तुमने बिना सोचे समझे, बिना कोई छानबीन किए मेरा नाम और मेरी reputation ऐसे उछाल दी? तुम्हें कैसे पता ये सब? कैसे जानते हो तुम कि ये जो allegations मुझ पर लगाए गए हैं ये सच भी हैं या नहीं? तुम्हारे पास कोई source नहीं है कोई सबूत नहीं हैं और तुमने बस छाप दिया?

selfish हो तुम। तुम्हें ये खबर बस लोगों तक पहुचानी थी ताकि तुम एक बड़े journalist कहलाओ। तुम्हारा नाम हो। और इस के लिए मेरा चाहे कितना भी नुक़सान हो उससे कोई मतलब नहीं है तुम्हें। क्यों, ठीक कह रहा हूँ ना मैं?

लेकिन ऐसा होगा नहीं दीपक। बरबाद कर दूँगा मैं तुझे ठीक उसी तरह जिस तरह तूने मुझे बरबाद करने की कोशिश की है। तू तो मुझे अच्छे से जानता है ना। फिर क्यों किया? बोल क्यों किया ऐसा? मैं ही क्यों?

तुझे पैसा मिला है ना किसी से इस काम के लिए? मेरे competitors से? है ना? यही बात है ना तो अब देख तू मेरा असली रंग।

दोस्त मानता था मैं तुझे। एक अच्छा इंसान समझता था जिसे लोगों की परख है। मैं ही बेवक़ूफ़ निकला और तुझे समझने में गलती कर दी। देख नहीं पाया तेरी सच्चाई।

लेकिन तू याद रखना… ये बात यहाँ खतम नहीं हुई है….