Hindi Monologues

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आएशा अपनी दोस्त दिव्या की रोज़ की शिकायतों से परेशान हो कर एक दिन अपने दिल की भड़ास उसपे निकालती है।

आएशाः हमेशा मुझे क्यों blame करने लगती है तू दिव्या? पागल है क्या तू? अगर वो लड़के मेरे पीछे लगे हुए हैं तो ये मेरी गलती है क्या? साला मैं तो उनके क़रीब भी नहीं जाना चाहती। मुझे लड़कियों में interest है पता है ना तुझे?

दिमाग़ ख़राब हो गया है मेरा। तुझे लगता है कि सारी दुनिया की तकलीफ़ें सिर्फ़ तुझे ही हैं।

(दिव्या की नक़ल करते हुए)

“अरे मेरे साथ ये हो गया, अरे मेरे साथ वो हो गया, अरे मेरी तो क़िस्मत ही ख़राब है। बेचारी मैं, बेचारी मैं।”

बस कर यार। थक गयी हूँ मैं। बंद करदे अब इस बकवास को।

तुझे लगता है तेरी ही लाइफ़ में problems हैं? मेरी लाइफ़ से compare करेगी तो कुछ भी नहीं हैं तेरी problems। एक दिन के लिए मेरी ज़िंदगी जी के देख। फट जाएगी तेरी।

मेरी family को नहीं पता की मुझे लड़कियाँ पसंद हैं। किस तरह इस secret को रोज़ ढोती हूँ अंदाज़ा भी है तुझे? बस एक तू है जिसे ये सच पता है। अपनी family को, अपने बाक़ी दोस्तों को ये सच बताना चाहती हूँ पर डरती हूँ कि पता नहीं कैसे react करेंगे। सब लोग मुझे तेरी तरह accept नहीं करेंगे दिव्या। उनका दिल नहीं दुखाना चाहती मैं।

तो हाँ भाई problems मेरी life में भी हैं। और ये जो तेरी life में छोटी मोटी problems लड़कों की है ना ये कोई इतनी बड़ी नहीं है। क्योंकि एक ना एक दिन तुझे कोई मिल ही जाएगा जो तुझे प्यार करेगा, तेरा ध्यान रखेगा। क़ीमत करेगा तेरी। कम से कम इतना सुकून तो मिलेगा ना तुझे। ज़रा मेरा सोच।

तो please ये रोज़ इन फ़ालतू लड़कों को ले कर रोना छोड़ दे। क्योंकि अगर मेरा बस चले ना तो मैं तेरी ज़िंदगी ख़ुशी ख़ुशी जी लूँ।