Hindi Monologues

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पूजा अपनी दोस्त राधिका से मिलने जाती है और हर बार की तरह इस बार भी उसे राधिका के negative attitude को झेलना पड़ता है जिससे वो पूरी तरह थक चुकी है।

पूजाः मुझे ये बात कुछ समझ नहीं आ रही। हमेशा ऐसा क्यों होता है कि जब भी मैं अपनी life की किसी अच्छी चीज़ के बारे में या जो चीज़ मुझे ख़ुशी देती है उसके बारे में बात करती हूँ तो तू कुछ ना कुछ negative बातें शुरू कर देती है? और जब भी मैं उन चीज़ों के बारे में बात करती हूँ जिससे मैं upset हूँ तो तू बड़ी excited और involved हो जाती है।

तू क्या मुझे ज़िंदगी भर दुखी देखना चाहती है क्या? मुझे तो ऐसा लगने लगा है कि हम तभी दोस्त रह सकते हैं अगर मेरी ज़िंदगी में कुछ बुरा चल रहा हो तो। मुझे ज़िंदगी में ख़ुशियाँ चाहिये यार। में अच्छी चीज़ों के बारे में बात करना चाहती हूँ। मैं तुझसे अच्छी बातें सुनना चाहती हूँ। ये इतना मुश्किल क्यों है तेरे लिए? तुझे इस बात का एहसास भी है की जब भी में तेरे पास आती हूँ तू हमेशा negative बातें करती है। हमेशा किसी ना किसी चीज़ की शिकायत करती रहती है। कभी अपने काम की, कभी अपने boyfriend की, कभी तेरी family कभी तेरा घर, कुछ ना कुछ, कुछ ना कुछ हमेशा लगा रहता है। तेरी ज़िंदगी में कुछ अच्छा भी होता है या नहीं?

ऐसा लगता है कि किसी की बुराई करे बिना तू ज़िंदा ही नहीं रह सकती। थकती नहीं है क्या तू कभी इस सब से ? देख, ख़ुश रहने से ज़्यादा मेहनत ना दुखी रहने में लगती है। ख़ुश रह के देख और ये हर बात पर अपना रोना बंद कर।