Hindi Monologues

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जब फ़ंदी को अपने ही बाप के क़त्ल के जुर्म में गिरफ़्तार कर लिया जाता है तो वो court में judge के सामने अपना गुनाह क़ुबूल करता है।

फ़ंदी: योर ऑनर मेरा बाप ना तो जीता था ना मरता था। बस चौबीसों घंटे एक ही रट लगाए रहता था की मैं मरना चाहता हूँ मुझे ज़हर दे दो, कुल्हाड़ी से मेरे दो टुकड़े कर दो। योर ऑनर वो बच्चों की तरह फूट फूट कर रोता था। मैंने इस तरह मौत माँगते किसी को नहीं देखा था। उसका दर्द धीरे-धीरे इतना बढ़ गया कि केवल बेहोशी का injection लगाने पर ही उसे नींद आती थी। Dr. हरपाल सिंह 1500 रुपए में एक injection लगाते थे और चाहे लोगों की जान चली जाए पर वो अपना एक रुपया भी नहीं छोड़ सकते थे। धीरे-धीरे मेरी हालत इतनी ख़राब हो गयी कि मेरे पास injection के लिए भी पैसा नहीं बचा। बाप का दर्द से चीखना मेरा कलेजा चीर रहा था, वो हर घड़ी मौत माँगता था पर मौत नहीं आती थी।

और उस दिन शाम को मैं घर लौट रहा था। रास्ते में खान ने मेरी छाती पर डंडा तान कर मेरी बेज़्ज़ती कर दी, घर आते ही औरत ने ऐलान कर दिया की घर में चावल नहीं हैं, मेरे लड़के को पड़ोस के लड़कों ने मारा.. उसकी नाक से खून बह रहा था। बाप ने कदम रखते ही पूछा – बेटा आज injection लगेगा? मैंने कहा नहीं। बस, मेरा बाप मेरे पैरों से लिपट कर रोने लगा। बेटा injection दो या मौत, injection दो या मौत, मैं injection नहीं दे सकता था पर मौत तो दे ही सकता था। योर ऑनर मेरा हाथ ना जाने कैसे मेरे बाप के गले की ओर बढ़ गया। मेरी उँगलियाँ ना जाने कैसे उसके गले को कसने लगी। योर ऑनर आप भरोसा नहीं करेंगे पर अपनी आती हुई मौत को देख कर भी मेरा बाप ऐसे हँस रहा था जैसे उसे मनचाही मुराद मिल रही हो। और योर ऑनर इस तरह मेरा बाप कर गया।