Hindi Monologues

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ईशा अपनी छोटी बच्ची दिया का ध्यान रखते रखते खुद को बंधा हुआ और एक घुटन महसूस करती है और अपने पति राजीव को इस बारे में बताती है

ईशाः नहीं राजीव नहीं । यह दिन ख़राब नहीं है। मेरी पूरी ज़िंदगी ख़राब है । दिया के आने के बाद से मेरी पूरी ज़िंदगी बर्बाद और बकवास हो गई है । मैं अपने खुद के लिए कुछ कर नहीं सकती और ऐसी ज़िंदगी का वादा तो नहीं किया था तुमने। खुद तो तुम उसे मेरे पास छोड़ कर चले जाते हो! मैं अपना काम कैसे करूँ, अपने music की प्रैक्टिस कैसे करूँ अगर मेरे सारे दिन का काम बस diaper बदलने का है? मैं इस तरह नहीं जी सकती। ऐसी life नहीं चाहिए थी मुझे, लगता है जैसे तुमने मुझे इसमें फँसा लिया है। तुम कभी अपने दोस्तों के साथ, कभी अपनी किताबों के साथ, कभी drive पे निकल जाते हो और पीछे से मैं घर पे अकेली सड़ती रहती हूँ दिया का ध्यान रखते हुए। मुझे पता था। मुझे पता था ये सब होगा और मैं सही निकली। मैंने कोशिश की है। कोशिश की है तुम्हारे लिए पर मैं इस type की नहीं हूँ ये mummy type की। ना कभी थी और ना कभी हूँगी। और हूँ भी तो क्यों? मुझे अंदर से ऐसा कुछ feel ही नहीं होता। ये माँ बच्चे का रिश्ता, ये लगाव, ये connection या जो कुछ भी होता है ये है ही नहीं मुझमें। मैं अपने अंदर ढूँढने की कोशिश करूँ तब भी नहीं मिलता। अंदर से ख़ाली हूँ मैं और ये बच्ची भी ये बात समझती है। इसलिए तो हर time मेरे साथ बस रोती रहती है। एक अच्छी माँ deserve करती है वो राजीव। और मैं वो माँ नहीं हूँ। मुझसे और नहीं हो पाता राजीव और मुझे निकलना है यहाँ से। अपने अच्छे future के लिए और दिया के अच्छे future के लिए।